दिव्य अमृत: प्राचीन ग्रंथों के अनुसार, भगवान शिव ने ब्रह्मांड के समुद्र मंथन के दौरान हलाहल विष का सेवन किया था। ऐसा माना जाता है कि श्रावण का महीना वह समय था जब उन्होंने अपने गले में जहर जमा करके उसे नीला करके ब्रह्मांड को बचाया था। भक्त सावन के दौरान शिव का आशीर्वाद और सुरक्षा पाने के लिए उनकी पूजा करते हैं।
सोमवार कनेक्शन: सावन सोमवार का विशेष महत्व है क्योंकि यह सोमवार को पड़ता है। सोमवार को भगवान शिव के लिए अत्यधिक शुभ माना जाता है, और माना जाता है कि इन दिनों व्रत और प्रार्थना करने से अपार आशीर्वाद और इच्छाओं की पूर्ति होती है।
व्रत अनुष्ठान: भक्त अपनी भक्ति प्रदर्शित करने और आशीर्वाद पाने के लिए सावन के सोमवार का व्रत रखते हैं। कुछ व्यक्ति भोजन या पानी का सेवन किए बिना पूर्ण उपवास रखते हैं, जबकि अन्य विशिष्ट खाद्य प्रतिबंधों का विकल्प चुनते हैं। ऐसा माना जाता है कि उपवास मन, शरीर और आत्मा को शुद्ध करता है और आध्यात्मिक विकास लाता है।
जल की शक्ति: सावन सोमवार के दौरान जल एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। भक्त शुद्धिकरण और कायाकल्प का प्रतीक, शिवलिंग पर जल चढ़ाते हैं। ऐसा माना जाता है कि यह पानी भगवान शिव की सकारात्मक ऊर्जा और आशीर्वाद को अवशोषित करता है, जिसे बाद में भक्त पीते हैं।
रुद्राक्ष: सावन सोमवार के दौरान रुद्राक्ष की माला पहनना बेहद शुभ माना जाता है। माना जाता है कि रुद्राक्ष की माला में दैवीय गुण होते हैं और यह आध्यात्मिक लाभ, सुरक्षा और समग्र कल्याण प्रदान कर सकता है।
बिल्व पत्र: सावन के दौरान भगवान शिव को बिल्व पत्र चढ़ाना पवित्र और अत्यधिक पुण्यदायी माना जाता है। माना जाता है कि ये पत्तियां भगवान शिव को प्रिय हैं और पापों को दूर करने वाली, मनोकामनाएं पूरी करने वाली और समृद्धि लाने वाली हैं।
कांवर यात्रा: सावन सोमवार को कांवर यात्रा का भव्य नजारा देखा जाता है, जहां भक्त भगवान शिव को चढ़ाने के लिए गंगा नदी से पवित्र जल से भरे बर्तन ले जाते हैं। यह जीवंत तीर्थयात्रा प्रतिभागियों की भक्ति और उत्साह को दर्शाती है।
अभिषेकम: सावन सोमवार के दौरान विभिन्न पवित्र पदार्थों से शिवलिंग का स्नान कराया जाता है, जिसे अभिषेकम के नाम से जाना जाता है। भगवान शिव की पूजा करने और उनकी दिव्य कृपा का आह्वान करने के लिए दूध, शहद, दही, घी और पवित्र जल का उपयोग किया जाता है।
दिव्य प्रेम कहानी: सावन सोमवार के दौरान भगवान शिव और देवी पार्वती के बीच शाश्वत प्रेम की पूजा की जाती है। भक्त अपने दिव्य रिश्ते से प्रेरणा लेते हैं और एक धन्य और पूर्ण प्रेम जीवन के लिए प्रार्थना करते हैं।
आत्म-बोध और परिवर्तन: सावन सोमवार आत्म-चिंतन और व्यक्तिगत परिवर्तन का अवसर प्रदान करता है। यह नकारात्मकता को त्यागने, सकारात्मकता को अपनाने और आत्म-साक्षात्कार की दिशा में आध्यात्मिक यात्रा शुरू करने का समय है।